बस तुम

मैं तुमपे गीत कहता था
तुम कहती थी शायरी सुनाओ ना
तुम्हारे रहते ना शायरी कर पाया मैं
मेरी ज़िदगी ही गज़ल बन गई .. तुम्हारे जाने के बाद ... ॥

दिल धड्कता है
आवाज़ सुनाई देती है तेरी ...
आईना देखता हूँ
तस्वीर दिखाई देती है तेरी ....

कौन कहता है नहीं हो तुम ...
मेरा दिल जानता है
यहीं-कहीं हो तुम ....

वादियों में .. इन पहाडों में
रातों को .. दिन के उजालों में
हर लमहा .. हर तरफ
तुम ही तुम ...
बस तुम ...॥
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तुम ही तुम
बस तुम

" अतुल "

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