तुम्हे याद कर-कर के
खुद को ही भुलाता जा रहा हूँ मैं ..
लगता है की जैसे
पगलाता जा रहा हूँ मैं .... ॥
... वो हसीं सनम जिसे खुदा ने
बस मेरे लिये बनाया है
बादलों में इक
धुंधला सा चेहरा नज़र आया है ...
उस चेहरे से तुन्हारा चेहरा
मिलाता जा रहा हूं मैं ...
लगता है कि जैसे पगलाता जा रहा हूँ मैं ...॥
... तुमसे इश्क है
जी करता है सारे जहां को बता दूं मैं
बडी मुश्किल से इस दिल को
मनाता जा रहा हूँ मैं ...
... तेरी तस्वीर बन जाये शायद
रेत में उंगलियां
फिराता जा रहा हूँ मैं ...
लगता है कि जैसे पगलाता जा रहा हूँ मैं ...॥
... अक्सर सोचता हूँ
ये क्या लिख रहा हूँ
क्यों लिख रहा हूँ मैं ..
क्या बताऊँ जब
खुद को ही नहीं समझा पा रहा हूँ मैं ...
... यही सच है शायद ...
कि पगलाता जा रहा हूं मैं ...॥
खुद को ही भुलाता जा रहा हूँ मैं ..
लगता है की जैसे
पगलाता जा रहा हूँ मैं .... ॥
... वो हसीं सनम जिसे खुदा ने
बस मेरे लिये बनाया है
बादलों में इक
धुंधला सा चेहरा नज़र आया है ...
उस चेहरे से तुन्हारा चेहरा
मिलाता जा रहा हूं मैं ...
लगता है कि जैसे पगलाता जा रहा हूँ मैं ...॥
... तुमसे इश्क है
जी करता है सारे जहां को बता दूं मैं
बडी मुश्किल से इस दिल को
मनाता जा रहा हूँ मैं ...
... तेरी तस्वीर बन जाये शायद
रेत में उंगलियां
फिराता जा रहा हूँ मैं ...
लगता है कि जैसे पगलाता जा रहा हूँ मैं ...॥
... अक्सर सोचता हूँ
ये क्या लिख रहा हूँ
क्यों लिख रहा हूँ मैं ..
क्या बताऊँ जब
खुद को ही नहीं समझा पा रहा हूँ मैं ...
... यही सच है शायद ...
कि पगलाता जा रहा हूं मैं ...॥
" अतुल "
4 comments:
amazing!!!!!!!!!!
bahut dino baad kisi kavita ki lines ne dil ko chhoo lia
keep it up!!!!
pagalpan ki bhi samajh se hum to pagla gye
bahut accha
Thanks Gourav..
Thanks Anonymous [:)]
oh forgot this..
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